अशोक वाटिका

अशोक वाटिका

ओह यह कैसी दयनीय हुई आज धरणी है
नरपिशाच हुए आज जनक और जननी हैं
अपने घर में हुई है अबला
आज निरीह बच्ची है.

पहले तो मार दी जाती थी
जनम लेने से पहले ही
या फिर या फिर लौटा दी जाती थी
पैदा होने के बाद
पर आज तो हो गयी है
उसी आँचल में वो बदहवास
जिसकी छाया तले
सीखी थी कला लेने की सांस.

रक्षक ही बन गये कुयों भक्षक
काम चिता पर बैठ कार आज
नहीं थरथराते क्ष्निक भी
लूटते अपनी ही बेटी की लाज.

यत्त्र नारियस्तु पूज्यनते
रमन्ते तत्र देवता देवता
की इस पावन भूमि पर
हो गया क्यों
रावण का राज,
घरों में ही बन गयी
अशोकवाटिकायँ
करती रूदन सीताएँ आज.

घर का पावन वातावरण
हुआ हलाहालसा विषाक्त
घर के निजी संबंधों की हो
रही व्याख्या कचहरी दफ़्तरों में आज.

कैसा समाज है ये जहाँ
पैसा ही भगवान है
रिश्ते नाते रहे नाम के
लोलुप आज हुआ इंसान.

यह भूख है अजगर जैसी
जो सब निगल जाएगी
अब भी ना जागे सभी तो
बहुत देर हो जाएगी.

उठो सम्भालो अपने आप को
उठो उठाओ गिरे हुओंको
फैलाओ जागृति का उजाला
जन जन का कल्याण हो
फैले सभी में सदभावना
खुशियाँ और मुस्कान हो.

Published in: on June 13, 2012 at 11:27 am  Comments (2)  

The URI to TrackBack this entry is: https://lataspeaks.wordpress.com/2012/06/13/%e0%a4%85%e0%a4%b6%e0%a5%8b%e0%a4%95-%e0%a4%b5%e0%a4%be%e0%a4%9f%e0%a4%bf%e0%a4%95%e0%a4%be/trackback/

RSS feed for comments on this post.

2 CommentsLeave a comment

  1. भ्रूण हत्या से घिनौना ,
    पाप क्या कर पाओगे !
    नन्ही बच्ची क़त्ल करके ,
    ऐश क्या ले पाओगे !
    जब हंसोगे, कान में गूंजेंगी,उसकी सिसकियाँ !
    एक गुडिया मार कहते हो कि, हम इंसान हैं !

    Read more: http://satish-saxena.blogspot.com/#ixzz1xlzSGTK3

  2. यह भूख है अजगर जैसी
    जो सब निगल जाएगी
    अब भी ना जागे सभी तो
    बहुत देर हो जाएगी.

    उठो सम्भालो अपने आप को
    उठो उठाओ गिरे हुओंको
    फैलाओ जागृति का उजाला
    जन जन का कल्याण हो
    फैले सभी में सदभावना
    खुशियाँ और मुस्कान हो.


Leave a comment